वर्ष 1956 में नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना देश के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू की महत्वाकांक्षी परियोजना थी और इसे देश की प्रथम स्वास्थ्य मंत्री श्रीमती राज कुमारी अमृत कौर ने संसद में अधिनियम (एम्स, अधिनियम) के माध्यम से पूरा किया। तथापि, पिछले 50 वर्षों में यह महसूस किया जा रहा था कि ऐसी तृतीयक स्तर स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में भारी क्षेत्रीय असंतुलन था जो किफ़ायती होने के साथ-साथ विश्वशनीय हो, देश में क्षेत्र विशेष के अनुकूल बड़ी संख्या में डॉक्टरों की उपलब्धता एवं अनुसंधान गतिविधियों के संचालन से उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं में सुधार करते हुए गुणवत्तायुक्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने में सक्षम हो। वर्ष 2003 में श्री अटल बिहारी वाजपेयी, तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा एम्स, नई दिल्ली के तर्ज पर देश के विभिन्न भागों में 6 नए एम्स संस्थान स्थापित करने की परिकल्पना की गई। वर्ष 2006 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, नई दिल्ली के अन्तर्गत प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पी.एम.एस.एस.वाई.) के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा शुरू की गई पहल के माध्यम से राष्ट्रीय महत्व के संस्थान एम्स, भोपाल की आधारशिला रखी गई। एम्स, भोपाल 2012 में आरंभ हुआ तथा 960 बिस्तरों की क्षमता के साथ सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के रूप परिकल्पित किया गया।
जब दिनांक 04.06.2018 को मैंने संस्थान में कार्य ग्रहण किया था तब मैंने संस्थान को तीनों क्षेत्रों अर्थात शैक्षणिक, अनुसंधान एवं रोगी देखभाल सेवा में उत्कृष्ट बनाने का संकल्प किया था। मैंने यह भी ध्यान रखा कि संस्थान में रोगी देखभाल सेवाओं को बढ़ाने तथा भर्ती प्रक्रिया, क्रय तथा अन्य सेवाओं में पारदर्शिता रहे। मुझे आपके साथ यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि मेरे द्वारा दिए गए उपर्युक्त आश्वासनों को पूरा करने में काफी हद तक मैं सफल रहा हूँ। यह अपने संकाय सदस्यों, अधिकारियों, रेजीडेंट चिकित्सकों, नर्सिंग अधिकारियों, प्रशासन, वित्त तथा अभियांत्रिकी एवं अन्य स्टाफ, छात्रों तथा सबसे महत्वपूर्ण मेरे सचिवालय के सहयोग के अभाव में संभव नहीं हो सकता था। हमने अनेक उपलब्धियां हासिल की है। बेशक संख्या में यह कम है लेकिन आंकड़ों में ये व्यापक है।
एम्स, भोपाल 150 एकड़ में फैला एक विशाल संस्थान है जिसमे अस्पताल परिसर, आवासीय परिसर, छात्रावास, चिकित्सा महाविद्यालय, नर्सिंग कॉलेज,(अत्याधुनिक नर्सिंग शिक्षा) तथा अन्य आवश्यक सेवाएँ संस्थापित है। वर्तमान में अस्पताल सेवाओं में 24 मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर सहित बिस्तरों की कुल क्षमता 793 है। 42 कार्यात्मक विभागों जिसमें 22 स्पेशलिटी, 14 सुपर स्पेशलिटी शामिल है तथा 6 अन्य विभागों में प्रत्येक माह ओपीडी में लगभग 46264 तथा आईपीडी में 1609 रोगियों का उपचार किया जाता है। एम्स, भोपाल में निश्चेतन विज्ञान, जीव रसायन, सामुदायिक एवं परिवार चिकित्सा, दंत विभाग, डर्मोटोलाजी, डाइटेटिक्स, आपातकालीन चिकित्सा, जनरल मेडिसिन, जनरल सर्जरी, माइक्रोबायोलाजी, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग, नेत्र रोग विज्ञान, ऑर्थोपेडिक्स, ओटोरहिनोलार्योलाजी, (ईएनटी-हेड एंड नेक सर्जरी) पीडियाट्रिक्स, पैथोलाजी, भौतिक चिकित्सा एवं रिहैबिलिटेशन, साइकेट्री, रेडियो-डायग्नोसिस एंड इमेजिंग, रेडियोथैरेपी, ट्रामा एवं आपातकालीन चिकित्सा, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन एवं ब्लड बैंक एवं आयुष की सुपर स्पेशलिटी सेवाएं उपलब्ध है। सुपर-स्पेशियलिटी सेवाओं में बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी, कार्डियोलाजी, कार्डियोथोरेसिक सर्जरी, एंडोक्रिनोलाजी एंड मेटाबालिज्म, नेफ्रोलाजी, न्यूरोलाजी, न्यूरोसर्जरी, नियोनेटोलाजी, न्यूक्लियर मेडिसिन, पीडियाट्रिक सर्जरी, पल्मोनरी मेडिसिन एंड टीबी, सर्जिकल गैस्ट्रोएंट्रोलाजी, सर्जिकल ऑन्कोलाजी, यूरोलाजी एवं एनाटामी का टीचिंग विभाग, फोरेंसिक मेडिसिन एंड टोक्सिकोलाजी, फार्माकोलाजी, फिजियोलाजी, अस्पताल प्रशासन एवं नर्सिंग कॉलेज शामिल है। हाल ही में एक नए ट्रांसलेशनल मेडिसिन विभाग की स्थापना भी की गई है। जो देश में अद्वितीय है। एम्स भोपाल में आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध एवं होम्योपैथी सहित आयुष विभाग भी है। एम्स, भोपाल के निर्मित भवन में 135 ब्लॉक है।
एम्स, भोपाल से देश हित में विशिष्ट प्रतिभा को स्थान देने, चिकित्सा एवं पैरा मेडिकल में उच्च प्रशिक्षित मानव संसाधन उपलब्ध कराने तथा राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्वास्थ्य हितों में अनुसंधान कार्य करने की अपेक्षा है। संस्थान चिकित्सा शिक्षा में नवाचारों के साथ प्रयोग की अनुमति देता है। एम्स, भोपाल अपने चिकित्सा महाविद्यालय एवं नर्सिंग कॉलेज के माध्यम से कुल 9 पाठ्यक्रमों का संचालन कर रहा है। इन पाठ्यक्रमों में एमबीबीएस, एमएस, डीएम, एमसीएच, पीडीसीसी, पीएचडी एवं बीएससी नर्सिंग (आनर्स) तथा एमएससी (नर्सिंग) शामिल है।
एम्स, भोपाल नेशनल नॉलेज नेटवर्क (एनकेएन) का एक सहयोगी भागीदार है जिसमें इस क्षेत्र की अद्यतन जानकारी साझा करने के लिए पूरे देश में 52 मेडिकल कॉलेज जुड़े है। देश के जरूरत मंद लोगो को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सेवा उपलब्ध कराने के लिए लागू भारत सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना भी एम्स भोपाल में आरंभ की गई है।
यह किसी भी एम्स में पहली बार है कि एम्स भोपाल में ट्रांसलेशनल मेडिसिन के लिए एक अलग केंद्र स्थापित किया गया है। इस केन्द्र में समर्पित संकाय सदस्य तथा होल जीनोम सीक्वेंसर औटोमटेड न्यूक्लिक एसिड एक्स्ट्रक्टर जैसे उपकरणो के साथ अत्याधुनिक बुनयादी सुविधाए उपलब्ध होगी। पशुओं पर ड्रग एवं वेक्सीन के परीक्षण के लिए फ्लो साइटोमीटर एटोमिक एबजोर्बसन सिस्टम तथा इन-विवो-इमेज एनालाइजर। संकाय के लिए यह आवश्यक होगा कि वे नए डायग्नोस्टिक तथा मानव डिवाइसेस, ड्रग्स, वैक्सीन तथा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (कृत्रिम बुद्धिमती) पर आधारित प्रणालियों का विकास करें। यहां उल्लेख करना महत्वपूर्ण होगा कि संस्थान ने सी एंड डीएसटी-टी.बी. लेबोरेटरी के साथ-साथ रीजनल वायरोलाजी डायग्नोस्टिक लेबोरेटरी (आरवीडीएल) प्रारंभ की है जो राज्य में इस तरह की पहली लेबोरेटरी है। एक 16 बैड का एम.डी.आर. वार्ड भी प्रस्तावित है। समग्र दृष्टिकोण अपनाते हुए संस्थान ने एम्स, नई दिल्ली के साथ मिलकर एक कैंसर उपचार केन्द्र की स्थापना की है। हाल ही में, एम्स, भोपाल ने एक कैंसर पंजीयन केन्द्र (Cancer Registration Center) तथा विष सूचना केन्द्र (Poison Information Center) (पी. आई. सी.) की स्थापना भी की है।
संस्थान ने नए स्थापित सभी एम्स से आगे बढ़ते हुए अनुसंधान गतिविधियों में सामंजस्य के लिए एक समर्पित अनुसंधान सेल की स्थापना की है। पिछले दो वर्षों में कुल 233 पब्लिकेशन हुए है। एम्स, भोपाल के संकाय विशेषतः ट्यूबरक्यूलोसिस, कैंसर परीक्षण, संक्रामक बीमारियों, क्रोनिक किडनी डिसीजों, पर्यावरण टाक्सीन, हेल्थ केयर डिलेवरी सिस्टम, गंभीर कुपोषण, स्वास्थ्य पर योग का प्रभाव, मेडिटेशन तथा एंटीमाइक्रोबियल स्टीवर्डशिप इत्यादि पर चुनौतीपूर्ण अनुसंधान कर रहे है। भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मध्यप्रदेश सरकार ने एम्स भोपाल को कोविड-19 अनुसंधान के लिए उत्कृष्ट केन्द्र का दर्जा दिया है। संस्थान कोविड-19 ट्रीटमेंट के लिए माइक्रोबैक्टिरियम डब्ल्यू (एम डब्ल्यू) क्लीनिकल ट्रायल शुरु करने वाला पहला संस्थान है। एम्स, भोपाल के संकाय द्वारा पिछले एक वर्ष में विभिन्न फडिंग एजेंसियों को बाहरी फंडिग के लिए कुल 180 रिसर्च प्रपोजल प्रस्तुत किए गए थे। इनमें से 45 प्रोजेक्टस फंडिंग के लिए अनुमोदित किए गए। इन एजेंसियों से प्रतिष्ठित फडिंग एजेंसियों में आईसीएमआर, डीएसटी, डीबीटी, बीआईआरएसी, डीएचआर, यूनिसेफ, मध्य प्रदेश सरकार शामिल है। इस अवधि में इन परियोजनाओं के लिए कुल अनुदान की राशि 25.11 करोड़ रुपये है। शासकीय धन आबंटन से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन लेबर डिलीवरी एंड रिकवरी (एलडीआर) तथा एजीस ऑफ इंडियन फार्माकोपिया कमीशन, गाजियाबाद के अधीन फार्माकोलाजी विभाग में मेडिकल डिवाइस एडवर्स इवेंट मानीटरिंग सेंटर की स्थापना की गई है। संस्थान ने अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अल्पकालिक अवधि के लिए अपनी प्रयोगशाला सुविधाएं उपलब्ध कराना प्रारंभ किया है।
एम्स, भोपाल संस्थान अपने अथक प्रयासों से पीएसयू के साथ-साथ निजी संगठनों से बड़ी मात्रा में सीएसआर फडिंग हासिल करने में सफल हुआ है। जिसका उपयोग एम्स, भोपाल में अत्याधुनिक उपकरणों, उच्च कोटि की केन्द्रित सुविधाओं की स्थापना में किया जाएगा।
अंत में, जैसा कि हम नए दशक 2020 में प्रवेश कर रहे है तो हमारे लिए यह समय है कि हम अपने शब्दों को कार्य में तब्दील करें और इसी क्रम में एम्स, भोपाल में मेडिकल कॉलेज भवन का विस्तार, सीएस के माध्यम से रोगी देखभाल सेवा हेतु 200 से 250 बिस्तरों के विश्राम सदन का विस्तार, बहुपयोगी हॉल के साथ इंडोर स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स का विस्तार, विभिन्न श्रेणियों के आवास हेतु आवासीय काम्प्लेक्स के फेस-II का निर्माण, मनोरंजन पार्क का विकास, हर्बल गार्डन परिसर को अधिक हरा भरा बनाना, जल संसाधन क्षमता को बढ़ाकर जल संसाधन में संस्थान को आत्मनिर्भर बनाना, ऊर्जा संरक्षण को बढ़ाना, जन स्वास्थ्य विद्यालय के साथ चिकलोद में ग्रामीण स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना तथा अन्य अनेक विकास कार्यों के अलावा कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी फ़ंड से एक अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन साइंसेज सेंटर की स्थापना किया जाना है।
मुझे एम्स, भोपाल का भविष्य अत्यंत उज्ज्वल और संस्थान में असीम संभावनाएं नजर आ रही है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि हम रोगियों, मानव सेवा एवं राष्ट्र के प्रति हमारे सभी संकल्पों को दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ पूरा करने के लिए अपने समर्पण एवं अथक प्रयासों को निरंतर जारी रखेंगे।
प्रो. सरमन सिंह
निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी
एम्स भोपाल